भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी स्वयंसेवक से उप-धानमंत्री तक
I am very happy to share that Shri LK Advani Ji will be conferred the Bharat Ratna. I also spoke to him and congratulated him on being conferred this honour. One of the most respected statesmen of our times, his contribution to the development of India is monumental. His is a… pic.twitter.com/Ya78qjJbPK
— Narendra Modi (@narendramodi) February 3, 2024
#WATCH | Veteran BJP leader Murli Manohar Joshi met veteran BJP leader LK Advani at his residence in Delhi to congratulate the latter for being conferred with Bharat Ratna. pic.twitter.com/q7c4MwAoqb
— ANI (@ANI) February 3, 2024
15 साल की उम्र में 1942 में आरएसएस के एक स्वयंसेवक के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरूआत करने वाले लालकृष्ण आडवाणी को अब जब देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया है तो यह आभास होता है कि इसके लिए इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता था। जब देश के अंदर कई विचारधाराएं बहुत प्रबल थीं तो श्रीराम के नाम से राजनीति में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने वाले आडवाणी को अब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के एक पखवाड़े के अंदर ये सम्मान मिला है और यह भी बहुत सहजता से कहा जा सकता है कि आज के दिन देश में आडवाणी के नाम का कोई विरोध करने वाला भी नहीं।
संक्षिप्त जीवन परिचय
आठ नवंबर, 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। उनके पिता श्री के डी आडवाणी और माँ ज्ञानी आडवाणी थीं। विभाजन के बाद भारत आ गए आडवाणी ने 25 फ़रवरी 1965 को ‘कमला आडवाणी’ को अपनी अर्धांगिनी बनाया। आडवाणी के दो बच्चे हैं।
लालकृष्ण आडवाणी की शुरुआती शिक्षा लाहौर में ही हुई पर बाद में भारत आकर उन्होंने मुम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक किया। आज वे भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। गांधी के बाद वो दूसरे जननायक हैं जिन्होंने हिन्दू आन्दोलन का नेतृत्व किया और पहली बार बीजेपी की सरकार बनावाई। लेकिन पिछले कुछ समय से अपनी मौलिकता खोते हुए नज़र आ रहे हैं। जिस आक्रामकता के लिए वो जाने जाते थे, उस छवि के ठीक विपरीत आज वो समझौतावादी नज़र आते हैं। हिन्दुओं में नई चेतना का सूत्रपात करने वाले आडवाणी में लोग नब्बे के दशक का आडवाणी ढूंढ रहे हैं। अपनी बयानबाज़ी की वजह से उनकी काफी फज़ीहत हुई। अपनी किताब और ब्लॉग से भी वो चर्चा में आए। आलोचना भी हुई।
राजनैतिक जीवन
वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने सम्भाला
राम रथ यात्रा
वर्ष 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया पर इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया।1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचा दिया था। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है।
सफरनामा
- 1936-1942- कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में 10वीं तक पढ़ाई, क्लास में टापर रहे।
- 1942 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में शामिल हुए।
- 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिडूमल नेशनल कालेज में दाखिला लिया।
- 1944 में कराची के माडल हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी की।
- 1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके कि विभाजन के चलते उन्हें सिंध में अपना घर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा। उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प ले लिया।
- 1947-1951 तक राजस्थान के अलवर, भरतपुर, कोटा, बुंडी और झालावार में आरएसएस को संगठित किया।
- 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता के लिए दिल्ली शिफ्ट हुए।
- 1958-63 तक दिल्ली प्रदेश जनसंघ में सचिव रहे।
- 1965 में कमला आडवाणी से विवाह हुआ, प्रतिभा एवं जयंत दो संतानें हैं।
- अप्रैल 1970 में पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया।
- दिसंबर 1972- भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
- 26 जून, 1975- बेंगलुरु में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार, भारतीय जनसंघ के अन्य सदस्यों के साथ जेल में कैद रहे।
- मार्च 1977 से जुलाई 1979 तक देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।
- मई 1986 में भाजपा अध्यक्ष बने।
- तीन मार्च 1988 को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बने।
- 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक राम मंदिर रथ यात्रा शुरू की।
- अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे।
- जून 2002 से मई 2004 तक देश के उप प्रधानमंत्री रहे।