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Lal Krishna Advani to be conferred Bharat Ratna, announces Prime Minister Narendra Modi

भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी स्वयंसेवक से उप-धानमंत्री तक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की कि भाजपा के स्थापनाकारी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, प्रदान किया जाएगा, और इसे “मेरे लिए एक बहुत भावनात्मक क्षण” कहा।

“हमारे समय के सबसे आदरणीय राजनेता में से एक, उनका योगदान भारत के विकास में बहुत महत्वपूर्ण है। उनका जीवन एक ऐसा है जो कड़ी मेहनत से ग्राउंड लेवल से शुरू हुआ और हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र की सेवा करते हुए समाप्त हुआ,” मोदी ने X पर कहा।

 

15 साल की उम्र में 1942 में आरएसएस के एक स्वयंसेवक के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरूआत करने वाले लालकृष्ण आडवाणी को अब जब देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया है तो यह आभास होता है कि इसके लिए इससे बेहतर कोई समय नहीं हो सकता था। जब देश के अंदर कई विचारधाराएं बहुत प्रबल थीं तो श्रीराम के नाम से राजनीति में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का झंडा बुलंद करने वाले आडवाणी को अब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के एक पखवाड़े के अंदर ये सम्मान मिला है और यह भी बहुत सहजता से कहा जा सकता है कि आज के दिन देश में आडवाणी के नाम का कोई विरोध करने वाला भी नहीं।

संक्षिप्त जीवन परिचय

आठ नवंबर, 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म हुआ था। उनके पिता श्री के डी आडवाणी और माँ ज्ञानी आडवाणी थीं। विभाजन के बाद भारत आ गए आडवाणी ने 25 फ़रवरी 1965 को ‘कमला आडवाणी’ को अपनी अर्धांगिनी बनाया। आडवाणी के दो बच्चे हैं।

लालकृष्ण आडवाणी की शुरुआती शिक्षा लाहौर में ही हुई पर बाद में भारत आकर उन्होंने मुम्बई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक किया। आज वे भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। गांधी के बाद वो दूसरे जननायक हैं जिन्होंने हिन्दू आन्दोलन का नेतृत्व किया और पहली बार बीजेपी की सरकार बनावाई। लेकिन पिछले कुछ समय से अपनी मौलिकता खोते हुए नज़र आ रहे हैं। जिस आक्रामकता के लिए वो जाने जाते थे, उस छवि के ठीक विपरीत आज वो समझौतावादी नज़र आते हैं। हिन्दुओं में नई चेतना का सूत्रपात करने वाले आडवाणी में लोग नब्बे के दशक का आडवाणी ढूंढ रहे हैं। अपनी बयानबाज़ी की वजह से उनकी काफी फज़ीहत हुई। अपनी किताब और ब्लॉग से भी वो चर्चा में आए। आलोचना भी हुई।

राजनैतिक जीवन

वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने सम्भाला

राम रथ यात्रा

वर्ष 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया पर इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया।1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचा दिया था। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है।

सफरनामा

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